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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

कुरान का एक अजीब मोजज़ा

कुरआन का एक अजीब मोजज़ा
मिस्र के मशहूर कारी,कारी अब्दुल बासित समद से एक शख्स ने पूछा हज़रत आप इतना बेहतरीन और उम्दा कुरान पड़ते हैं क्या आपने कभी कुरआन का कोई मोजज़ा देखा? कारी साहब ने जवाब दिया हाँ मैंने कई मोजज़े देखे
उसने कहा कोई मोजज़ा हमे भी बताइये
कारी साहब ने बताया "एक बार हमारे देश के राष्ट्रपति को मीटिंग के सिलसिले में रूस जाना पड़ा वहां मीटिंग के बाद रूसी सरकार के एक अधिकारी ने उनसे कहा 'क्या मुसलमान बने फिरते हो हमारे जैसे हो जाओ ये मुस्लमानियत छोड़ कर हम तुम्हारी मदद करेंगे और तुम्हारा शुमार तरक्की याफ्ता कौमो में होने लगेगा ' इसके बाद उसने राष्ट्रपति साहब से बात करने की कोशिश की लेकिन बात न बन स्की
दो या तीन साल बाद सदर साहब का फिर से रूस जाना हुआ मुझे खबर मिली की सदर साहब मुझे साथ ले जाना चाहते हैं मुझे बड़ी हैरत हुई मेरा वहाँ क्या काम वहां तो सब काफ़िर और दहरिये नास्तिक रहते हैं जो खुदा को तक नही मानते मुझे तो पाकिस्तान हिंदुस्तान अरब बांग्लादेश जैसे मुल्को में जाना चाहिए था जहाँ मुसलमान रहते हैं  ....खैर मैंने तैयारी की और सदर साहब के साथ रूस चला गया मीटिंग हुई मीटिंग के बाद सदर साहब ने मेरा तारुफ़ करवाया की ये मेरे दोस्त हैं ये आप लोगो के सामने कुछ पड़ेंगे
वो लोग समझ नही सके मैं क्या पडूंगा इसलिए भरे मजमे में खामोशी और सुनने की बेचैनी थी
मुझे इशारा मिला तो मैंने पड़ना शुरू किया और पड़ा भी क्या
"तुआ हा,हमने आप पर कुरान मजीद इसलिये नही उतारा है ताकि आप तकलीफ उठायें बल्कि ऐसे शख्स की नसीहत के लिये उतारा है जो अल्लाह से डरता हो" (सूरह तुआ हा ,14)
"मैं ही अल्लाह हूँ मेरे सिवा कोई माबूद नही तुम मेरी ही इबादत किया करो और मेरे ही लिए नमाज़ पड़ा करो" (सूरह तुआ हा,14)
इन आयतो को सुनकर किसी दौर में हज़रत उमर भी ईमान ले आये थे आगे कहते हैं की जब मैंने दो रुकूअ पड़कर सर उठाया तो कुरआन का मोजज़ा अपनी आँखों से देख रहा था की सामने बैठे नास्तिकों में से चार बन्दे ऐसे थे जो आंसुओ से रो रहे थे ये देखकर सब लोग हैरान हो गए
सदर साहब ने पूछा आप क्यों रो रहे हैं ??
कहने लगे "हमे तो नही मालूम उसने क्या पड़ा है हमारी समझ में उसकी भाषा नही आई लेकिन जब वो पड़ रहा था तो उसकी तासीर से हमारे दिल मोम हो गए और जिस्म का रुआँ रुआँ झुरझरि के साथ खड़ा हो गया और आँखों में आंसू आ गए"
कारी अब्दुल बासित कहते हैं मैंने कुरआन का ये मोजज़ा देखा की जो लोग कुरआन को जानते नहीं मानते नहीं अगर उनके सामने भी कुरआन पड़ा जाए तो उनके सीनो में उतर जाता है उनके दिलों में भी असर  पैदा करता है ।

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