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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

उम्मत के जाहिल

उम्मत के जाहिल: हमारे लिए एक सबक 
दूकानदार ने चूहे दान लगा कर चूहा पकड़ लिया और फिर उसको मारने के लिए जो तरीका इख़्तियार किया वो इंसानियत को शर्मसार करने के लिए काफी था और खुदा के गज़ब को दावत देने का इंतज़ाम भी, लेकिन एक खुदा की ही ज़ात ऐसी है जो सबसे ज़्यादा सब्र वाली है इसीलिए उसने फ़ौरन ज़मीन को भी नही धँसाया और आसमान से कोई अज़ाब भी नाज़िल नही किया
उस शख्स के लिए खुदा रस्सी तंग ज़रूर करेगा अगर उसने अपने रब से गिड़गिड़ा कर माफ़ी न मांगी
आप जानना चाहेंगे उसने क्या किया??
उसने किया ये कि चूहे पर पेट्रोल डाल कर आज़ाद कर दिया और उसको आग लगा दी
चूहा अपने जलते हुए जिस्म के साथ जिस तकलीफ से मरा यकीनन मन्ज़र हौलनाक था
क्या चूहा इस दर्दनाक सजा का मुस्तहिक़ था ?
क्या प्यारे नबी सल्ल उम्मत को यही तालीम दे कर गए थे ??
मैं मानता हूँ नुक्सान पहुंचाने वाली चीज़ों को मारने का हुक्म है लेकिन इस तरह नहीं ये तरीका इंसानियत के खिलाफ शरीयत के खिलाफ और खुदा के गज़ब को दावत देना है
यकीनन प्यारे नबी सल्ल की हदीस और अल्लाह के कलाम से दूरी ने इंसान को जानवर से बदतर मखलूक बना दिया है
ए लोगो !! रहम करो जमीन वालो पर ताकि आसमान वाला तुम पर रहम करे ।।
शायद आप भी ये पड़कर कुछ सबक हासिल करें इसलिए इस वाकये को पोस्ट करना पड़ा ।

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