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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

जौहरी बनिए

जौहरी बनिए जनाब....ताकि उनकी पहचान कर सकें 
हीरे तो कई तरह के होते हैं कुछ ऐसे बहुमूल्य होते हैं जो दुनियां में बहुत कम दुर्लभ तादाद में पाये जाते हैं और कुछ मूल्यवान होते हैं जिनकी तादाद दुर्लभ हीरो से कुछ ज़्यादा होती है बाकी कुछ हीरे ऐसे होतें है जो कसीर तदाद में मिल जाते है ....लेकिन ये सब हीरे ही होते हैं और इनकी वैल्यु और धातुओ से ज़्यादा समझी जाती है
इन हीरो में दुर्लभ हीरे की पहचान करना हर किसी के बस की बात नही होती बल्कि इसके लिए हर किस्म के हीरे की जानकारी उसकी कैफियत और उसकी पहचान करने का इल्म होना ज़रूरी होता है इसलिए जौहरी ही इनकी पहचान कर सकता है बिलकुल इसी तरह उलमा हर फिरके में होते हैं और हक परस्त उलमा बहुत कम होते है जो की दुर्लभ श्रेणी में आते हैं आसानी से गली कूचे में नही मिलते इसके अलावा इस तरह के उलमा खूब मिल जाते हैं जो होते तो उलमा ही हैं लेकिन हक छुपाने वाले होते हैं या सिर्फ अपने तक ही रखते हैं एक केटेगरी उलमा की वो है जो सिर्फ उलमा बने फिरते हैं लेकिन उनका हक बात से कोई सरोकार नही होता अपने मन की करते हैं
उलमा ए हक की पहचान करना भी एक हुनर है इसके लिए हर फिरके के लोगो को चाहिए उलमा ए हक को पहचान करने की कुव्वत और हुनर को अपने अंदर पैदा करें ....ये ज़रूरी नही की आप जिस फिरके को हक समझकर बैठे हैं उस फिरके के सारे उलमा हक परस्त हों ऐसा हरगिज़ नही हो सकता
अगर कोई फिर भी दावा करे की फलां फिरके के उलमा हक परस्त दीन ए हक ब्यान करने वाले हैं तो ये सिर्फ अंधभक्ति के अलावा कुछ भी नहि ....  जब आप जौहरी होंगे तो भला कैसे हीरे की क्वालिटी में फर्क नही कर पाएंगे ???

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